फैज़ अहमद फैज़ के शेर हमने सब शेर में संवारे थे हमसे जितने सुखन तुम्हारे थे (सुखनः बातचीत) मरने के बाद भी मेरी आंखें खुली रहीं, आदत जो पड़ गई थी तेरे इंतजार की वो लोग