हमने सब शेर में संवारे थेहमसे जितने सुखन तुम्हारे थे (सुखनः बातचीत) मरने के बाद भी मेरी आंखें खुली रहीं,आदत जो पड़ गई थी तेरे इंतजार की वो लोग बहुत खुशकिस्मत …

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“हज़रात! ये जलसा हमारी अदब की तारीख़ में एक यादगार वाक़या है।  हमारे सम्मेलनों,अंजुमनों में – अब तक, आम तौर पर – ज़ुबान और उसकी अशात अत से बहस की …

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