Mouzu-e-Sukhan by Faiz Ahmead Faiz by Vikram November 12, 2013 मौज़ू-ए-सुखन गुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शामधुल के निकलेगी अभी चश्म-ए-माहताब…